कैंसर कोशिकाएं और ट्यूमर: विस्तृत जानकारी
- एसिड (अम्ल) का निर्माण:
कैंसर कोशिकाएं स्वाभाविक रूप से अम्ल (एसिड) का उत्पादन करती हैं। यह अम्ल कैंसर कोशिकाओं के चारों ओर एक अम्लीय वातावरण बनाता है, जो उनके विकास और फैलाव में सहायक होता है। - अम्लीय वातावरण में पनपना:
कैंसर कोशिकाएं अम्लीय वातावरण में अधिक तेजी से बढ़ती हैं। सामान्य कोशिकाओं की तुलना में कैंसर कोशिकाएं अम्लीय स्थितियों में बेहतर ढंग से जीवित रहती हैं और फलती-फूलती हैं। शरीर के सामान्य ऊतकों के मुकाबले, कैंसर कोशिकाओं के चारों ओर का वातावरण अधिक अम्लीय होता है, जो उन्हें पनपने का एक अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। - अम्लीय वातावरण से प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया में कमी:
कैंसर कोशिकाएं अम्लीय वातावरण का उपयोग करके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती हैं। अम्लीयता के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाएं ठीक से काम नहीं कर पातीं, जिससे कैंसर कोशिकाएं शरीर के प्राकृतिक सुरक्षा तंत्र से बच निकलती हैं। यह कैंसर के फैलने का एक मुख्य कारण हो सकता है।
शरीर में pH स्तर और अम्लीयता का प्रभाव:
शरीर लगातार रक्त के pH (अम्लीयता स्तर) को नियंत्रित करने के लिए प्रयास करता है ताकि उसे एक निश्चित सीमा में बनाए रखा जा सके। सामान्य रक्त pH लगभग 7.35 से 7.45 के बीच होता है, जो हल्का क्षारीय होता है। लेकिन, लार और मूत्र का pH शरीर के खनिज संतुलन और अन्य आंतरिक प्रक्रियाओं के आधार पर बदल सकता है।
पेट के अम्ल (हाइड्रोक्लोरिक एसिड) की भूमिका:
- पेट का अम्ल (हाइड्रोक्लोरिक एसिड) पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह भोजन को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ता है ताकि अग्न्याशय और पित्त के साथ मिलकर वह आसानी से पच सके।
- यह खनिजों जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, और जिंक के भौतिक बंधों को तोड़ने में मदद करता है ताकि आंतें उन्हें आसानी से अवशोषित कर सकें। अगर पेट में अम्ल की मात्रा कम हो जाती है, तो यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है।
कम पेट अम्ल के कारण उत्पन्न समस्याएं:
- खनिजों का कम अवशोषण:
पेट में पर्याप्त अम्ल न होने से खनिजों का सही ढंग से अवशोषण नहीं हो पाता, जिससे शरीर में खनिजों की कमी हो जाती है। खनिज pH को संतुलित करने में मदद करते हैं, और इनकी कमी से शरीर में अम्लीयता बढ़ सकती है। - शरीर की अम्लीयता बढ़ाना:
पेट का अम्ल खनिजों को पचाने में मदद करता है और खनिज अम्लीयता को संतुलित करते हैं। जब पेट में अम्ल की कमी होती है, तो खनिजों की कमी के कारण शरीर की अम्लीय प्रवृत्ति बढ़ जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि लार और मूत्र अम्लीय हो जाते हैं। - कैंसर के इलाज में कम सफलता:
शोध से पता चलता है कि पेट के अम्ल की कमी का संबंध कैंसर के इलाज, विशेषकर स्तन कैंसर के इलाज में कम सफलता दर से है। पर्याप्त पेट अम्ल न होने के कारण शरीर कैंसर से लड़ने में सक्षम नहीं होता, क्योंकि यह खनिजों के कम अवशोषण और अम्लीयता को बढ़ावा देता है। कम अम्लीयता और खनिज संतुलन शरीर को कैंसर के उपचार के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने में विफल कर देते हैं।
pH संतुलन बनाए रखने के उपाय:
- पेट का अम्ल संतुलन बनाए रखें:
उचित आहार और समय पर भोजन करके पेट के अम्ल को संतुलित रखा जा सकता है। अधिक पानी पीने और प्राकृतिक अम्लीय खाद्य पदार्थों का सेवन करने से भी मदद मिलती है। - खनिजों से भरपूर आहार:
कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिंक जैसे खनिज अम्लीयता को संतुलित रखने में मदद करते हैं। इन खनिजों से भरपूर आहार का सेवन शरीर के pH को संतुलित रखने में सहायक होता है। - समय पर पाचन तंत्र की जांच:
पाचन तंत्र की नियमित जांच और सही तरीके से काम कर रहा है यह सुनिश्चित करने से शरीर में अम्लीयता नियंत्रित रहती है।
निष्कर्ष:
कैंसर कोशिकाओं का अम्लीय वातावरण में पनपना और पेट में अम्ल की कमी के कारण शरीर में अम्लीयता बढ़ना एक जटिल प्रक्रिया है। शरीर के पाचन तंत्र का संतुलन और पर्याप्त खनिजों का सेवन कैंसर से लड़ने में मदद कर सकता है। अम्लीयता को नियंत्रित रखना न केवल कैंसर के इलाज के दौरान मदद करता है, बल्कि प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है, जो दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।